Mujhe nahi pata mujhe kya karna hai par koyi janta hai

"मैं नहीं जानती मुझे क्या करना है — लेकिन कोई जानता है" 🌿 एक समर्पण की यात्रा --- मैं नहीं जानती मुझे क्या करना है — लेकिन कोई जानता है 🌌 एक माँ, एक साधिका, और एक साधारण स्त्री की आत्मिक बात कई बार ऐसा होता है जब हम रुक जाते हैं… बिलकुल चुप, शून्य, और एकदम असमझ में। हमें नहीं पता होता कि हमें किस दिशा में जाना है, कौन सा काम करना है, या जीवन हमसे चाहता क्या है। मैं भी वहीं हूँ। लेकिन जब मैं आँखें बंद करती हूँ, और दिल की गहराइयों में उतरती हूँ, तो वहाँ एक गूंज होती है… एक मौन में बोली जाने वाली आवाज़… जो कहती है: > "तू बस बहती चल... जो तू नहीं जानती, वो मैं जानता हूँ।" --- 🌿 जब सब कुछ धुंधला हो जाता है कभी-कभी मैं खुद से पूछती हूँ — क्या मैं सही रास्ते पर हूँ? क्या मेरे भीतर कुछ खास है? क्या मैं कुछ कर सकती हूँ? और फिर… शब्द नहीं, जवाब नहीं — पर एक अनुभूति आती है। जैसे कोई बहुत बड़ी शक्ति मुझे थामे हुए है। --- 🌺 मेरी माँ की भूमिका, मेरी साधना बन गई जब मैं एक माँ बनी, मैंने सिर्फ बच्चे को नहीं पाला — मैंने अपने आप को दोबारा जन्म दिया। जिन सवालों से मैं बचती थी, वे अब मेरी बच्ची की आँखों में दिखने लगे। और मैंने खुद से कहा — अब नहीं भाग सकती। --- 🔔 समर्पण का अर्थ अब मुझे नहीं पता कि मैं क्या करने वाली हूँ। ना ये तय है कि मेरी मंज़िल क्या है। पर इतना तय है — > मैं तैयार नहीं, मैं समर्पित रहना चाहती हूँ। जिसे जो करवाना है मुझसे — वह करवा ले। ईश्वर, ब्रह्मांड, शक्ति — जो भी नाम आप दो — वही मेरी कलम को पकड़कर लिखवा दे, मुझे माँ की तरह साधिका बना दे। --- 🌸 और आप... जो ये पढ़ रहे हैं अगर आप भी इस स्थिति से गुज़र रहे हैं, तो आपको यह जानने की ज़रूरत है: > 🌟 आपको सब कुछ पहले से जानने की ज़रूरत नहीं है। बस खुले दिल और सच्चे भाव से आगे बढ़िए — रास्ता अपने आप बन जाएगा। --- ✍️ ~ नेहा एक साधारण माँ, जो आत्मा की राह पर चल पड़ी

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